Tuesday 25 September 2018

पितृ पक्ष में पूर्वजों के श्राद्ध से मिलती है दौलत और शोहरत






पितृ पक्ष शुरू हो चुके हैं. यह १५ दिन तक चलते है. ज्योतिष में यह माना जाता है की इन दिनों हमारे पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं. अपनों से मिलने के लिए. उन्हीं के स्वागत में और उनकी शान्ति के लिए श्राध किया जाता है. गरुण पुराण में ऐसा माना जाता है की जब हम अपने पूर्वजों का सही से तर्पण करते हैं तो वो अपने श्राप से हमें मुक्त कर देते हैं. अपना आशीर्वाद देकर अपने धाम को जाते हैं. पितृ पक्ष में पितृ दोष की शान्ति करवाने से परिवार में सुख-शांन्ति आती है. परेशानिया दूर होती है.
वैसे अगर आपकी कुंडली में पितृ दोष है और आप अपने जीवत माता – पिता की सेवा करते है. उन्हें खुश रखते हैं उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं तो आपका पितृ दोष वैसे भी समाप्त हो जाता है. वे खुश होकर परलोक सिधारते है. अब यह आपके ऊपर है आप किस तरह से दोष को समाप्त करते हैं. वैसे कहा जाए तो जीवत माता-पिता की सेवा से जो पुण्य प्राप्त होता है वो किसी और चीज से नहीं होता है.
खैर छोड़ों आज हम इस आलेख में पितृ दोष शांति और श्राद्ध पक्ष के बारे में बात करेगे. जिस किसी की कुंडली में पितृ दोष होता है उनको पितृ पक्ष के दौरान उसकी शान्ति करवानी चाहिए. अपने पूर्वजों का श्राद्ध करवाना चाहिए.

श्राद्ध पक्ष का महत्त्व- श्राद्ध करने का उतना ही महत्व है जितना की किसी और पूजा पाठ का होता हैं. यह बहुत ही पुण्यदायक माना जाता है. वायु पुराण, मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण आदि पुराणों तथा अन्य शास्त्रों जैसे मनुस्मृति इत्यादि में भी श्राद्ध कर्म के बारे में बताया गया है. श्राद्धपक्ष को कनागत नाम भी से भी जाना जाता है। कनागत, कन्यार्कगत का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ है सूर्य का कन्या राशि में जाना। श्राद्धपक्ष में सूर्य कन्या राशि में होता है, इसीलिए इसे कन्यार्कगत कहा जाता है। नाम कुछ भी हो पर कर्म और पूजा की विधि वो ही रहती हैं.


जब कुंडली न हो तो ऐसे करे पितृ दोष की पहचान – कई बार लोगों के पास उनकी कुंडली नहीं होती हैं. उनको समझ नहीं आता की वो कैसे पितृ दोष की पहचान करें. हलाकि कोई अच्छा ज्योतिषी आपकी परेशानियों को देखकर बता देता की की पितृ दोष है या नहीं. लेकिन आज हम आपको यहाँ कुछ लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें देखकर पितृ दोष की पहचान कर सकते हैं.
इस दोष की वजह से जिन्दगी में निराशा हाथ लगती है. आप हर बार असफलता प्राप्त करते हैं, जीवन में बार-बार दुर्घटनाएं होती रहती है, नौकरी नहीं मिलती, पैसो की परेशानी हमेशा बनी रहती हैं. संतान नहीं होती, घर में वेवजह लड़ाई होती है. कोई रोग हमेशा शरीर को घेरे रहता है.

पितृपक्ष में क्या करें- पितृ दोष को दूर करने के लिए पितृ पक्ष अपने पूर्वजों का श्राद्ध करें. जिन लोगों को अपने पूर्वजों की तिथि नहीं मालुम वे पितृ पक्ष की अमावश्या को उनके नाम से श्राद्ध कर सकते हैं. श्राद्ध हमेशा दोपहर के समय ही करना चाहिए. पितृ दोष से श्रापित व्यक्ति पितृ अमावस्या के दिन श्रीमद्भागवत कथा का पाठ करवाएं.


 श्राद्ध करना हमारे पूर्वजों के प्रति श्रद्धा के प्रतीक हैं। यह श्रद्धा आप अपने जीवत या दिवंगत व्यक्ति को हमेशा दें. ताकि आपको उनका आशीर्वाद प्राप्त होता रहे.  

No comments:

Post a Comment